समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं कि मरने के कुछ समय बाद व्यक्ति फिर से जिंदा हो गया। ऐसे ही मृत्यु के किनारे को छूकर लौटने वाले अनेकों व्यक्तियों ने जो कुछ देखा महसूस किया और बताया, उन विवरणों पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है।1970 में अमेरिका में इस तरह के अध्ययन के लिए ‘साइन्टिफिक स्टडी ऑफ नियर डेथ फिनोमेना ” नाम से एक संस्था। ब. रेमण्ड ए. मूडी नामक विख्यात मनःचिकित्सक की टीम ने प्रतिवर्ष 100 से ज्यादा ऐसे लोगों पर अध्ययन किया।सैकड़ों परीक्षणों के बाद डा.रेमंड ने देखा कि कुछ समानताएं सब में होती हैं। जो भी व्यक्ति मृत्यु के निकट पहुँच गये, उन्होंने सबसे पहले शरीर को छोड़ने के बाद दूर से उसे देखा।अनेक मृतक संबंधी भी मिलते हैं। घने अंधकार भरे मार्ग से प्रकाश की ओर गमन का अनुभव होता है। प्रकाश की ओर जाते ही शान्ति और आनन्द की अनुभूति होती है।ऐसे 100 व्यक्ति जिन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था और वे फिर पुनः जीवित हो गए थे उनके अनुभवों को डा. रेमण्ड मूडी ने “लाइफ आफ्टर डेथ” शीर्षक से एक पुस्तक रूप में संकलित किया। कुछ अनुभव लगभग एक जैसे थे। जैसे-मृत्यु के समय अत्यधिक पीड़ा होना और डॉक्टर द्वारा मृत घोषित कर देना। अन्धकार पूर्ण मार्ग से गुजरकर प्रकाशित स्थान में पहुँचना।शरीर छोड़ कर जा चुके और फिर लौट आए 67 लोगों का अनुभव था कि उन्हें शरीर का अपने से अलग अनुभव हुआ। दृष्टा की तरह ने अपने शरीर को देखते रहे। शरीर से लगाव तुरंत दूर नहीं हुआ, बोध या चेतना कुछ समय उसी के इर्द-गिर्द घूमती है।दीवार खिड़की आदि उसके लिए बाधक नहीं रहते अब वह और अधिक शक्ति महसूस करता है। डॉक्टर व संबंधी गणों को शरीर के इर्द-गिर्द खड़े देखता, उनके प्रत्येक प्रयास को देखता है। मृत मित्र संबंधियों की आत्माएं भी मिलती हैं।अटलांटा की एमरी यूनीवर्सिटी में मनश्चिकित्सा पढ़ा रही डा. एलिजाबेथ कबलररोस ने भी रेमण्ड की तरह कुछ प्रयोग किए। उनके एक सहयोगी और इसी विश्वविद्यालय में कार्डियोलोजी के प्रोफेसर डा. माइकेल सेबोम का कहना था कि ‘रेमण्ड मूडी की पुस्तक में दी घटनाओं पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। लेकिन शोध में मेरी भी रुचि जागी।’उनकी सहायिका सारा क्रुजिगर के साथ मिलकर उन्होंने 120 नियर डेथ एक्सपीरेन्स के उदाहरणों पर अध्ययन किया। उनमें से 40 प्रतिशत व्यक्तियों ने डा. मूडी की रिपोर्ट के जुटाए ब्यौरों की पुष्टि की। इसी प्रकार ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टीकट’ के प्रोफेसर डा. केनेथरिंग ने भी मर कर जी उठे 102 लोगों से भेंट की।‘सेन्टल्युक हॉस्पीटल’ के हृदय विशेषज्ञ डा. फ्रेड शूनर ने ऐसे ही 2300 व्यक्तियों की जांच की। इस तरह की शोध रिपोर्टों से बौद्धिक और वैज्ञानिक जगत मे कौतूहल जागा। निष्कर्षों के अनुसार मनुष्य की इच्छा, आकाँक्षा, स्वर्ग की सुखद कल्पना नर्क के प्रति भय भावना इत्यादि के अनुसार ही मनुष्य को ये अनुभव होते हैं।